कोई त्योहार कहता है कोई हुड़दंग समझता है
कोई त्योहार कहता है कोई हुड़दंग समझता है
मगर होली का मतलब तो ये पागल मन समझता है
हमेशा जीत कर आती है नेकी हर बुरायी को
जला सकती नहीं होली प्रह्लादों की भलाई को
स्वयं भगवान आ जाते हैं सुनके जब दुहायी को
क्या है भगवान का आना ये हर आँगन समझता है
ना जाने कितने रंग होली हवा में घोल देती है
चुनर कान्हा के रंग में रंग के राधा डोल लेती है
हवाओं में हज़ारों प्यार की बरखा बरसती हैं
क्या इस गुंजन का मतलब है ये सूनापन समझता है
कहीं मस्तो की टोली तो कहीं गुझिया का मीठापन
कहीं घूँघट में है चितवन कहीं मिलने का पागलपन
कहीं थापों पे ढोली की थिरकते तन मचलते मन
ज़रूरत इन उमंगों की हरेक जीवन समझता है
मिटा कर भेद अपने और परायें को मिलाती है
रंगों से लाल पीला फूल लोगों को बनाती है
बहारों में ठहाको का समाँ होली बँधाती है
क्या है मुस्कान का मतलब ये भोलापन समझता है