कोई अहसास है जो
कोई अहसास है जो
दिल को धड़का जाता है
चलती आहों और सांसों
को रफ़तार दे जाता है
कोरा कागज सी जिन्दंगी
को इस कदर बिखेर जाता है
स्यासही और कलम को
हाथों में थमा जाता है
सुकून ए रिहायश में
उथल पुथल कर जाता है
दिल में दफ़न जज्बातों
को गज़ल कर जाता है
रातों में बिस्तर पर
सलवटें कर जाता है
बेचेन सी रातों को
चहल कदमी दे जाता है
अल सुबह खुदा को छोड़
उनको ढूंढने चला जाता है
लक्ष्मण सिंह
जयपुर