कोई अहसासों में साथ रहेगा !
कोई अहसासों में साथ रहेगा !
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आहिस्ते से उसने जब प्यार से देखा !
मैं तो बिल्कुल ही शरमा सा गया !
धीरे से उसने मीठी मुस्कान बिखेरा !
तो तत्क्षण मैं काफ़ी भरमा सा गया !!
क्या….. कुछ कहना चाहती थी वो !
क्या….. कुछ कह नहीं पा रही थी वो !
मुस्कुराहट उसकी बयां क्या कर रही !
ऐसे ढ़ेर सारे सवाल जेहन में मेरे कौंध रही !!
प्यारा वो पल था मैंने एहसासों में ही जी लिया !
कभी न ऐसा हुआ था, पहली बार ही मिल लिया !
नाम, पता तक ना पूछा, होंठों को भी सिल लिया !
मन-ही-मन जो बात हुई,बस वहीं पे थाम दिल लिया !!
हाॅं, एक अरमां सी जग गई थी मेरे दिल में !
कुछ रातें संग दिन भी कटी बड़ी मुश्किल में !
ऐसे कीमती पल तो आते हरदम नहीं ज़िंदगी में !
तो फ़िर क्यों न पागल हो जाता मैं अत्यंत ख़ुशी में !!
इक नया मुकाम जो खुशी का मिल गया था !
अनकही पैगाम जो उसका मुझे मिल गया था !
पर प्यार के अंजाम से दिल बहुत ही डर रहा था !
पर किसी की याद में नादान दिल धड़क रहा था !!
प्यारा सा चेहरा उसका , जीवन भर याद रहेगा !
साथ रहें या ना रहें, कोई अहसासों में साथ रहेगा !
इक मुस्कान किसी की दिल को झकझोर जाएगी !
सोचा न था, नजदीक आकर वो दूर चली जाएगी !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 13-08-2021.
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