Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2024 · 2 min read

कोई अवतार ना आएगा

ईरान से अफगान तक, मिट गए हिन्दुओं के निशान,
कितने मंदिर ध्वस्त हुए, कितनी बेटियां रोईं वीरान।
नक्शे से गायब हो गए, हिन्दू धर्म के महान प्राण,
अब जागो हिन्दुओं, ये धर्म की रक्षा का है समय महान।।

मत करो इंतजार किसी का, कोई अवतार ना आएगा,
तेरे हिस्से की लड़ाई, बस तुझको ही बुलाएगा।
फैसला तुझको करना है, मिटना है या मिटाना है,
धर्म की रक्षा करते हुए, मौत की नींद सो जाना है।।

ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, और बांग्लादेश,
मिट गए यहाँ से हमारे इतिहास और भेष।
अब कितनी और बलिदानियां दोगे,
कब तक सहोगे और कब तक झुकोगे?

बांग्लादेश से सबक लो, अब खुद को बनाओ परशुराम,
केवल फरसा ही नहीं, बल्कि संकल्प भी उठाओ अपने नाम।
हिंदुत्व की वाहिनी बने, हिन्दू संगठित हो शत-प्रतिशत,
धर्म की रक्षा का संकल्प लो, क्योंकि यही है वक्त, यही है पथ।।

राणा, सांगा, लक्ष्मीबाई, मंगल, क्या इनसे कुछ ना सीखेंगे?
मानवता की रक्षा को, क्या हम यूं ही बैठे रहेंगे?
ना कोई और आएगा बचाने, ना कोई अवतार होगा,
अब खुद ही बनना होगा प्रहरी, हर अन्याय तभी समाप्त होगा।।

इतिहास उसको याद करेगा, जो काल से आंख मिलाएगा,
बाकी फुरसत यहां है किसको, सब धूल में मिल जाएगा।
धर्म, स्वाभिमान और प्रतिष्ठा, इन पर आंच न आने दो,
गर खुद को मिटाकर बनती है, तो खुद को मिटाकर बनने दो।।

यह रणभूमि है, यह धर्मयुद्ध है,
अब हर हिन्दू को लड़ना होगा।
अपने धर्म की रक्षा के लिए,
कृष्ण, राम और परशुराम बनना होगा।।

क्योंकि अब ना राम आएंगे, और ना श्याम आएंगे,
खुद को बनाओ परशुराम, केवल फरसा काम आएंगे।
हर घर में जलाओ ज्ञान और विजय का दीप,
क्योंकि सत्य की तलवार से असहाय निर्दोष बचाए जाएँगे।।

अब उठ, जाग, और रणभेरी बजा,
जो कुछ शेष है उसे बचा।
या तो थिरक इशारों पर कठपुतली बन,
या सनातन विरोधियों को नाच नचा।।

****************************************************

महेश ओझा
8707852303
maheshojha24380@gmail.com
गोरखपुर, उ. प्र.

Language: Hindi
157 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#आधार छंद : रजनी छंद
#आधार छंद : रजनी छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
जिंदगी हवाई जहाज
जिंदगी हवाई जहाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
रानी मर्दानी
रानी मर्दानी
Dr.Pratibha Prakash
3132.*पूर्णिका*
3132.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
‘ विरोधरस ‘---9. || विरोधरस के आलम्बनों के वाचिक अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---9. || विरोधरस के आलम्बनों के वाचिक अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
ग़ज़ल _ थोड़ा सा मुस्कुरा कर 🥰
ग़ज़ल _ थोड़ा सा मुस्कुरा कर 🥰
Neelofar Khan
if you love me you will get love for sure.
if you love me you will get love for sure.
पूर्वार्थ
*बस याद ही रह जाएगी*
*बस याद ही रह जाएगी*
Sunil Gupta
" जुबां "
Dr. Kishan tandon kranti
स्वागत है  इस नूतन का  यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
Neelam Sharma
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
मैं कभी तुमको
मैं कभी तुमको
Dr fauzia Naseem shad
*आए सदियों बाद हैं, रामलला निज धाम (कुंडलिया)*
*आए सदियों बाद हैं, रामलला निज धाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
लाड बिगाड़े लाडला ,
लाड बिगाड़े लाडला ,
sushil sarna
अमेठी के दंगल में शायद ऐन वक्त पर फटेगा पोस्टर और निकलेगा
अमेठी के दंगल में शायद ऐन वक्त पर फटेगा पोस्टर और निकलेगा "ज़
*प्रणय*
प्रेम.....
प्रेम.....
हिमांशु Kulshrestha
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
Sonam Puneet Dubey
“ भाषा की मृदुलता ”
“ भाषा की मृदुलता ”
DrLakshman Jha Parimal
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
Rituraj shivem verma
मोहब्बत का अंजाम कभी खुशी कभी गम।
मोहब्बत का अंजाम कभी खुशी कभी गम।
Rj Anand Prajapati
अंहकार
अंहकार
Neeraj Agarwal
ଏହା ହେଉଛି ପବନ
ଏହା ହେଉଛି ପବନ
Otteri Selvakumar
एक कहानी लिख डाली.....✍️
एक कहानी लिख डाली.....✍️
singh kunwar sarvendra vikram
ञ'पर क्या लिखूं
ञ'पर क्या लिखूं
Satish Srijan
उस की आँखें ग़ज़ालों सी थीं - संदीप ठाकुर
उस की आँखें ग़ज़ालों सी थीं - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
Keshav kishor Kumar
Loading...