कैसे हो तुम ए दोस्त ये क्या किए जाते हो
माना कि देने का नाम ही प्यार है
मगर यह क्या कि मेरे सारे गम लेकर तुम खुशियां दिए जाते हो
तुमसे तो कभी कुछ मांगा नहीं
तुम बिन मांगे सब दिए जाते हो
कैसे हो तुम ए दोस्त, ये क्या किए जाते हो
हर परेशानी से दूर रखते हो मुझे,
सब कुछ खुद पे ही लिए जाते हो
क्यों ये जहर इतनी आसानी से पिए जाते हो?
कैसे हो तुम ए दोस्त, ये क्या किए जाते हो
मेरे तक नहीं आने देते हो कोई भी आग की लपटें,
हर बात खुद पे ही लिए जाते हो।
कैसे हो तुम ए दोस्त, ये क्या किए जाते हो
मेरी आंखों में नहीं आने देते एक भी आंसू कभी,
मेरे सारे ज़ख्म सीए जाते हो।
कैसे हो तुम ए दोस्त ये क्या किए जाते हो।
न अपनी कोई फिकर है तुमको, न ही अपना ख्याल रखते हो
ऐसा लगता है कि जैसे बस मेरे लिए ही जिए जाते हो।
कैसे हो तुम ए दोस्त, ये क्या किए जाते हो।