कैसे पड़े हैं प्रभु पाँव में छाले
क्यों बनते हैं बहुत ही भोले
अन्तर मन की बात न खोले
कालिया नाग को नाथने वाले
कैसे पड़े हैं प्रभु पाँव में छाले
ऐसा घाव कभी नहीं देखा
भक्त बड़ा लगता हैं अनोखा
मुझको उससे मिला दे ग्वाल-वाले
कैसे पड़े हैं प्रभु पाँव में छाले
परम भक्त वह सखा हमारा
विपती चक्र में नहीं वह हारा
खाने को नहीं मिले निवाले
ऐसे पड़े हैं प्रिये पाँव में छाले
जेठ धूप, नहिं शीश पगरिया
हरि-हरि भजत चले डगरिया
कंकड़ धंसे उसके पाँव में छाले
ऐसे पड़े हैं प्रिये पाँव में छाले
निज भूषण नव लोक तुम्हारे
नैन टका एक लगे निहारे
नाम से तेरे छटे बादल काले
कैसे पड़े हैं प्रभु पाँव में छाले