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9 Feb 2021 · 1 min read

कैसे चाँद जमीं पर लाऊँ….

कैसे चाँद जमीं पर लाऊँ…

बहुत सुनी मन मैंने तेरी
अब न एक चलेगी तेरी
किस्मत में जो लिखा न तेरी
वो सुख बता कहाँ से लाऊँ

बात-बात पर मचल उठता तू
कैसी असंगत जिद करता तू
सामर्थ्य नहीं है मेरी इतनी
जो चाँद जमीं पर ले लाऊँ

मान ले पगले मेरी बात
जगा न मुझे यूँ सारी रात
कुछ तो तरस खा रे मुझ पर
रो- रोकर देख मरी मैं जाऊँ

ज्यों राग बिना वैराग्य मिले न
त्यों भाग्य बिना सौभाग्य मिले न
सोया भाग्य तानकर गहरी
कह तो किस विधि उसे जगाऊँ

त्यौहारों का मौसम आया
मेरे लिए तो गम ही लाया
खुशी क्या जिस पर गर्व करूँ मैं
क्या पाया जिस पर इठलाऊँ

करूँ तो किस पर करूँ मैं रोष
कुछ तो मुझमें ही होगा दोष
संगत जग से मिला न पायी
कैसे जग से नज़र मिलाऊँ

कैसे चाँद जमीं पर लाऊँ…

– डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

Language: Hindi
1 Like · 285 Views
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