कैसे कह दूँ कि तुम से प्यार नहीं है…
कैसे कह दूँ कि तुम से प्यार नहीं है,
मेरे दिल में हो तुम, दिल की धड़कन में तुम,
मेरे ख्वाबों में तुम, इन ख़्यालों में तुम,
कैसे कह दूँ कि प्रेम का इजहार नहीं है,
कैसे कह दूँ कि तुम से प्यार नहीं है,
कैसे कह दूँ कि तुम से प्यार नहीं है….
दिन का दिनकर भी दिनभर तेरी राह में,
अनमना अनमना सा भटकता रहा,
रात का चाॅद भी, तेरी चाह में,
होके बैचैन पहलू बदलता रहा,
कैसे कह दूँ कि तुम से इकरार नहीं है,
कैसे कह दूँ कि तुम से प्यार नहीं है…
बैठ मुंडेर पर, धूप भी देर तक,
राह तेरी में हर पल बिसुरती रही,
चाॅदनी भी सितारों की चूनर पहन,
चाह तेरी में रह-रह सिसकती रही,
कैसे कह दूँ कि दिल बेकरार नहीं है,
कैसे कह दूँ कि तुम से प्यार नहीं है…
तेरा वादा था मुझसे, इसी ईद पर,
ईद के चाॅद जैसा, दिखेगा मुझे,
कर बसर मेरे पहलू में ही रातभर,
अल सुबह ही न रूसवा करेगा मुझे,
कैसे कह दूँ कि तुझपर ऐतबार नहीं है,
कैसे कह दूँ कि तुम से प्यार नहीं है…
दूज के चाॅद का तेरा वादा है अब,
साथ जीने और मरने का इरादा है अब,
रेशमी रेत के, नर्म स्पर्श सा..
मुझको छूने का तेरा इरादा है अब,
कैसे कह दूँ कि तेरा इन्तजार नहीं है
कैसे कह दूँ कि तुम से प्यार नहीं है…।
– सुनील सुमन