केहिकी करैं बुराई भइया,
केहिकी करैं बुराई भइया,
केहिको करैं बखान।
कोउ न अपनो परै दिखाई,
लुटरे सबहि समान।।
कोउ दिखावै देश भगतिवा,
कोउ दिखावै दान।
मंहगाई मा मरे जात सब,
भूखे मरै किसान।।
सरकारी नौकरी जा पावै,
ताके ऊँचे ठाठ।
जा घर नौकर बनो न कोउ,
ताकी ठाड़ी खाट।।
सड़क बनाई पक्की पक्की,
जनता नंगे पाँव।
तपत दुपरी पाँव जरै अब,
कैसे पहुंचै गाँव।।
प्रजा दुखी सुख पावत राजा,
प्रभु क्या खूब विधान।
खून चूस कैसे बनते यह,
शासक बड़े महान।।
हाय विधाता किन कर्मन को,
शासक भोगै भोग।
दुई पाटन के बीच पिसै क्यों,
मध्यमवर्गी लोग।।
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कौशल कुमार पाण्डेय
आस बीसलपुरी।।
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