*केवल जाति-एकता की, चौतरफा जय-जयकार है 【मुक्तक】*
केवल जाति-एकता की, चौतरफा जय-जयकार है 【मुक्तक】
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राजनीति में जाति-व्यवस्था, टिकटों की आधार है
जाति देख कर सिर्फ बँट रहा, मंत्री-पद का भार है
भूल गए सब राष्ट्र-एकता, उच्च राष्ट्र-लक्ष्यों को
केवल जाति-एकता की, चौतरफा जय-जयकार है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451