कृष्ण की राधा बावरी
कृष्ण की राधा बावरी, मुझे मिला दे श्याम ।
ढुंढ रही मैरी नैनन री, कहां मिलेंगे घनश्याम ।।
वो मुरलीधर चीत चोर री, हिय बसे मेरे श्याम ।
कहां दिखेंगे मोहि बता री, बृज के वो घनश्याम ।।
कृष्णा की राधा बावरी ,ढुंढ रही वो श्याम ।
कहां मिलेंगे बतारे सखी ,मुझको मेरे घनश्याम ।।
बिन कृष्ण चितवा मेरा ना लगी ,पुकारे है वो श्याम ।
सखी मुझको बता री ,कहां मिलेंगे मेरे घनश्याम ।।
एक सुन्दर बाग में ,घूम रहे दो चितचोर ।
सावन बरसेगा आश में ,नाच रहे दो मोर ।।
कैसी दुविधा है जाग रही ,उनकी व्यथा न जान सका ।
क्या है खुशी या गम के आंसू उनके नयन में।।