कृष्णजन्माष्टमी
तूफान मचा चारो ओर, लपेटे मे थी रात अंधियारी।
कृष्ण ने जन्म लिया था तब,वसुदेव-देवकी की खुशी का नहीं कोई था अंत।
इतने मे कंस का भय उन्हें सता रहा,प्रभु प्रकट हुए स्वयं समझाया वासुदेव को सारी माया।
खुल गई वसुदेव की बेड़ियां,खुल जेल के सारे दरवाज़े।
सो गए दरबार सारे, तूफानी रात मे वसुदेव ने न हिम्मत हारी।
बादल गरज रहे थे गढ़-गढ़,यमुना का जल था उफान मचाए।
लगतार बरस रही थी बारिश,इसमें भी प्रभु के दर्शन कट कर शेष नाग ने पीछे से चल रहे थे प्रभु को बारिश से बचाए।
यमुना का जल पथ साफ कर दिया,प्रभु के पिता को न हुई कोई कठिनाई ।
छोड़ कृष्ण को गोकुल मै, यशोदा को सौप दिया कान्हा।
ले आया बेटी जो थी दुर्गा रूप वाली।
कंस ने जब उसे मारना चाहा, दुर्गा ने अपना रूप दिखाया।
जन्म तो ले लिया काल ने तेरे ,
कंस तू कुछ कर न पाया।
गोकुल मैं जश्न सा माहौल बन आया, गूंज उठी थी नगरी सारी।
कृष्ण का जन्म मन रहे थे ,हर्षोल्लास संग सारे गोकुल वासी।
भारती विकास(प्रीति)