*कूड़ा-गाड़ी (बाल कविता)*
कूड़ा-गाड़ी (बाल कविता)
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घंटी टन-टन-टन-टन करती
कूड़ा-गाड़ी आती
सभी घरों का कूड़ा यह
एकत्रित करती जाती
घर के अंदर से निकालकर
घर का कूड़ा लाते
कूड़ेगाड़ी के अन्दर सब
डाल-डाल कर आते
अगर न होती कूड़ा-गाड़ी
कूड़ा कौन उठाता
गली-मोहल्लों और घरों से
कहो कहाँ जा पाता ?
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451