कुन्देन्दु श्वेताम्बरी
कुन्देन्दु विराज कुमुद नयनी,
सुर कंठ विराज वीणावादिनी|
हे पद्मासना! श्वेताम्बरी,
हे! जग-जननी मातेश्वरी|
चरणों में दे स्थान हमें,
हे भगवति! गीता धारिणी|
हो हृदय तरंगित तारों से,
झंकृत हो दिल झंकारों से|
कर ज्ञान प्रवाहित जीवन में,
हे! सकल बसंत प्रदायिनी|