कुदरत की नाराजगी
मौसम का बिगडा चलन ,परिवर्तित परिवेश !
कुदरत की नाराजगी,…. .. झेल रहा है देश !
झेल रहा है देश, ……आपदा भारी हरदिन !
कभी कहीं अति वृष्टि, कहीं है सूखा सावन !
रोज रोज हर रोज , कृषक के घर है मातम !
बदले जब इंसान , स्वयं ही बदले मौसम !!
रमेश शर्मा