कुछ बिखरे हुए एहसास
ग़ैर ज़रूरियात को जरूरी बना दिया है तूने,
भगवान को भी मुद्दा बना दिया है तूने.!
जिसने बनाई है ये कायनात सारी,
उसी को लाचार बना दिया है तूने..!!
तुम अखबार की लाइनें पढ़ते हो,
हम लाइनों के बीच में पढ़ते हैं..!
तूम अख़बार चाय पीने पढ़ते हो,
और हम देश के मुस्तकबिल पर रोते हैं..!!
खून से लथपथ तड़फते लोगों पर हँसने से पहले सोच लेना,
जानवर की आदत में मोहब्बत नहीं अवसर और मांस होता है..!!
बड़ा ही शातिर दिमाग पाया है तूने,
आधे पागलों को पूरा पागल बनाया है तूने.!
कुछ तो राह पर चढ़ आए थे मोहब्बत की,
उनके भी दिल में नफ़रत भरकर कातिल बनाया है तूने.!!
चीनी नहीं अब शक्कर कहनी होगी,
सीने पर नहीं अब पीठ पर टक्कर सहनी होगी..!!
कहदो उस आग से जलकर राख होजा,
मगर इस पानी से अब ना भाप बन पाएगी..