कुछ बड़ा कीजिये
कुछ, पुराने से ‘घर’ में नया कीजिये।
‘कद’ बड़ा हो न हो ‘दिल’ बड़ा कीजिये।
‘शान’ पाकर विरासत में क्या फायदा,
खुद कि मेहनत से ‘रूतबा’ खड़ा कीजिये।
हो इरादा, अगर चाँद के पार का,
हर कदम इक ऊँचाई चढ़ा कीजिये।
‘मौत’ आएगी सब कुछ सिमट जाएगा,
‘सांस’ है जब तलक कुछ बड़ा कीजिये।
हर लड़ाई से संदेश मिलता यही,
जब जरूरी न हो मत लड़ा कीजिये।
फिर बिछड़ कर मिले ना मिले, इसलिये,
जब मिले तो खुशी से मिला कीजिये।
जिन्दगी में सफलता की पथ पर सदा,
भाव लेकर ‘विनय’ का बढ़ा कीजिये।