कुछ नही हो…
दर्दों से जुड़ा मेरे जजबातों का समंदर,
दिल के तालाब में कहाँ सिमट कर रहेगा..
कुछ अपने ही रिश्ते थे इतने करीब,
के अब नजर हर रिश्तों से नजर चुरायेगा..
कहना और सुनना अब महज एक समौझते सा हैं,
खामोश रहकर ही हर बिखरा रंग उछाला जायेगा..
तुम रहो या ना रहो अब क्या फर्क पड़ता हैं
तुमको ही तुम्हारा कर्मा खुद अपनी औकात पर लायेगा..
मेरा कर्तव्य बस इतना हैं,
मुझे ही मेरी आँसुओं का कर्ज खुदसे खुशियों से हैं चुकाना ..
तुमसे क्या उम्मीद करूँ मैं,
तुम ना तो वो कांधा हो, और ना ही वो सीना……
#ks