“कुछ तो सोचो”
“कुछ तो सोचो”
बिक रही शराब
छटाक-छटाक प्याले में,
लाखों गैलन दूध
बह रहा रोज नाले में,
आज सारी जनता को
यही सब क्यों भा रहा,
इसलिए मेरा देश
उजाले में नहीं जा रहा।
“कुछ तो सोचो”
बिक रही शराब
छटाक-छटाक प्याले में,
लाखों गैलन दूध
बह रहा रोज नाले में,
आज सारी जनता को
यही सब क्यों भा रहा,
इसलिए मेरा देश
उजाले में नहीं जा रहा।