*कुछ गुणा है कुछ घटाना, और थोड़ा जोड़ है (हिंदी गजल/ग
कुछ गुणा है कुछ घटाना, और थोड़ा जोड़ है (हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
कुछ गुणा है कुछ घटाना, और थोड़ा जोड़ है
जिंदगी में क्या पता, किस को कहॉं क्या मोड़ है
(2)
युक्ति से जो काम लेते, जीतते हैं रण वही
नीति के कारण बड़ा, योद्धा बना रणछोड़ है
(3)
जिसने बनाया इस तरह विष, आदमी बचता नहीं
जानता है वह कि क्या-क्या, उस जहर का तोड़ है
(4)
इस तरह से भी असर, महॅंगाई का देखा गया
शुरुआत घोटालों की ही, अब हजार करोड़ है
(5)
सब दिखावे का चलन है, आजकल जो चल रहा
एक दूजे से परस्पर, बस इसी में होड़ है
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*रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451