तेरे ख्वाब सदा ही सजाते थे
तेरे ख्वाब सदा ही सजाते थे,
हर पल तुमको ही बुलाते थे ।
तुमको मुहब्बत ना थी शायद
जैसे कोई अहसान जताते थे ।।
तुमने ना जानी मेरी मुहब्बत,
तुझको हम अपना खुदा बताते रहे ।।
हमे हरपल ये दर्द सताता है,
तू तुझे जाने कैसे चैन आता है ।
हम तो बिछड़ के तुमसे सनम,
चांद सितारों से हम अक्सर,
बस तेरी ही बातें करते रहें ।।
याद मुझे जब आती है तेरी,
दिल का बुरा हाल हो जाता है ।
जितना भी तुझे भुलाना चाहूं,
मुझे क्यूं इतना याद आता है ।।
तुम तो हमे छोड़ के चले गए,
हम विरह की आग जलते रहे ।।