कुछ कम भी नही मेरे पास
अधिक ठीक नहीं कुछ भी
इसलिए
अधिक कभी कुछ नहीं मांगा
जीवन से ।
न पंख फैलाने को अधिक आसमान चाहा
न चाही इतनी अधिक ज़मीन
कि औरों के हिस्से में
चलना न आए ।
अधिक न चाहना की फेहरिस्त में रहे
हंसना
और खुश रहना भी ।
कम को ही अधिक मान
हमेशा कहा
हे ईश्वर !
बहुत दिया तुमने ।
ईश्वर कम करते गए
मेरा कम भी जो अधिक लगा मुझे
और अब ऐसा है कि
कुछ कम भी नहीं मेरे पास !!!