कुछ आस नही लाते
हर मोड़ पर मिलते है यहाँ चाँद से चेहरे
पहले की तरह क्यो दिल को नही भाते ||
बड़ी मुद्दतो बाद लौटे हो वतन तुम आज
पर अपनो के लिए कुछ आस नही लाते ||
काटो मे खेल कर जिनका जीवन गुज़रा
फूलो के बिस्तर उन्हे अब रास नही आते||
किसान, चातक, प्यासो आसमा देखना छोड़ो
बादल भी आजकल कुछ खास नही आते ||