कुंडलियां
कुंडलियां छंद
रिमझिम-रिमझिम बरसात,
बुंदियन की सौगात।
काली छाई है घटा,
आई है बरसात।।
आई है बरसात, खिलें हें बगिचे सारे।
धानी रंग जहान,धरा के वारे न्यारे।।
नदियां सागर ताल,कहीं पर छिम-छिम।
लगी झड़ी है जोर,
हर जगह रिमझिम-रिमझिम।।
सुषमा सिंह “उर्मि,,