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2 Jun 2023 · 1 min read

कुंडलिनी छंद

पावन होता है जहाँ ,रिश्तों का अनुबंध।
भावों से आती वहाँ ,सात्विकता की गंध।
सात्विकता की गंध,सदा होती मनभावन।
रहती विषय विरक्ति,प्रीत यदि होती पावन।।

आकर हो जाए खड़ी ,विपदा अगर समक्ष।
हिम्मत कभी न हारना,लड़ना बनकर दक्ष।
लड़ना बनकर दक्ष ,लड़ाई कष्ट भुलाकर।
झुककर करे प्रणाम,जीत कदमों में आकर।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

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