Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Aug 2023 · 4 min read

अंग्रेजों के बनाये कानून खत्म

केद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अंग्रेजों के बनाए कानून खत्म करने के लिए 150 साल बाद य लिया है। भारतीय दंड संहिता स्थापित करने के लिए राज्यसभा में बिल प्रस्तुत किया है इस बिल में अभी तक आईपीसी 511 धाराएं हैं उनके स्थान पर अब मात्र 356 धारा ही रहेगी। नए कानून में नई 8 धाराएँ जोड़ी गई है। 22 को खत्म किया गया है। 160 धाराओ का समावेश किया गया है। 160 साल बाद कॉम्प्रेस वीडियो का ट्रायल कोर्ट, पुलिस गिरफ्तारी की सूचना इत्यादि के तौर तरीकों में बदलाव प्रस्तावित किया है। न्यूनतम ट्रायल कोर्ट को 3 साल के अंदर फैसला देने का प्रावधान किया है। देश में कहीं पर भी सफआईआर दर्ज कराई जा सकती है। गए गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी देना,अब पुलिस अधिकारियों के लिए अनिवार्य किया जा रहा है। 7 साल या अधिक की सजा अपराधों पर गिरफ्तारी के नियम को बदला जा रहा है। मौत की सजा को आजीवन कारावास तथा आजीवन कारावास को 7 साल तक के नियम बनाए जा रहे हैं पुलिस को 90 दिन तक आरोप पत्र पेश करना अनिवार्य होगा। 180 दिन के अंदर पूरी कर ट्रायल करानी होगी। ट्रायल कोर्ट को 3 साल के अंदर फैसला देना होगा न्यायिक व्यवस्था के प्रस्ताव से ऐसा लगता है, कुछ नया होने जा रहा है। लेकिन कुछ नया नहीं हो रहा है। हाँ 160 साल के बाद जो स्थितिया समय के साथ बदलाव निर्मित हुई है। उनका प्रावधान जरूर भारतीय दंड सहिता मे किया जा रहा है। अंग्रेजों के 160 साल पुराने कानून में भी 90 दिन के अंदर चलान पेश करना जरूरी था। लेकिन जांच एजेंसियां कई-कई माहों और वर्षों तक लंबित रखने लगी थी जो कानून का उल्लंघन था।

न्यायालयों ने इस मामले में मौन साधकर रखा था। जो चा
चार्टशीट न्यायालय में पेश की जाती थी। उस पर दोनों पक्ष अपने-अपने दावे प्रस्तुत करते थे। न्यायालय को लगता था कि पुलिस ने जाँच एजेंसी ने गलत मामला बनाया है, तो वह ट्रायल के स्तर पर ही केस का निपटारा कर देती थी। पुलिस यदि चालान और चार्ज शीट पेश भी नहीं करती थी तो 90 दिन के बाद जमानत दिए जाने का अधिकार न्यायालयों के पास आज भी है। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से न्यायपालिका में अनैतिकता, भ्रष्टाचार और लापरवाही बढ़ी है। उसके साथ लोगों की प्रताड़ना भी न्यायालय बढ़ गई। अब तो न्याय के नाम पर सीधे-सीधे लोगों के साथ न्यायालय में अन्याय हो रहा है अंग्रेजों के बने हुए कानून,जो क़ानूनी प्रावधान आज भी लागू हैं जो नया कानून गृहमंत्री अमित साह ने राज्यसभा में प्रस्तुत किया है। उसमें आम लोगो और सरकार के लिए अलग- अलग कानून है। जो अंग्रेजों के बनाये हुए कानून से भी ज्यादा है। राजद्रोह का नाम देशद्रोह कर दिया है। सामुदायिक सजा का पहली बार प्रस्तावित भारतीय दंड संहिता में प्रावधान किया जा रहा है। माबलीचिंग के कानून को कड़ा बनाया जा रहा है। आईपीसी में समय-समय पर पहले भी बहुत सारे परिवर्तन हुए है। नाम अंग्रेजों की बनाई गई दंड सहिंता का था। लेकिन संशोधन हमेशा होते जा रहे है। पिछले वर्षों जिस तरह के कानून लागू हुए है। उसमें कई वर्षों तक लोगों को जमानत नहीं मिल रही है। जाँच एजेंसियों द्वारा झूठे मुकदमे बनाये जा रहे हैं कई वर्षों तक मुकदमा चलने के बाद,आरोपी अदालतों से निर्दोष बरी किये जा रहे हैं जो नये कानून प्रस्तावित है। उनमें भी यही विसंगति विद्यमान हैं समय के साथ साथ सतही बदलाव करके हम कुछ समय तक स्थितियों को टाल जरूर सकते हैं लेकिन बनाये गए कानूनों और नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया जाता है तो वह न्याय के नाम पर अधिकार सम्पन्न लोगों का अन्याय ही माना जाता है।

न्यायालय की प्रक्रिया और फीस इतनी महंगी हो गई है, कि आम आदमी वहन करने की स्थिति में नहीं है। जिनके पास पैसा है। जो अधिकार सम्पन्न है। वह अपने से कमजोर व्यक्तियों के खिलाफ तथा कथित कानून अस्त्रों का पउपयोग कर रहे हैं जो नया कानून प्रस्तावित किया जा रहा है उसमें इस तरीके का कोई प्रावधान नहीं है आरोपी को यदि गलत मामलों ने फसाया गया हैं अदालत मामले का फैसला देते समय,यदि आदमी को गलत तरीके से फसाया गया है तो फैसले के साथ ही इतने वह मुकदमों और जेल की प्रताड़ना का शिकार हुआ हैं आरोपी व्यक्ति को सामाजिक ,आर्थिक, मानप्रतिष्ठा और बच्चों के भविष्य का नुकसान हुआ है उसके परिवार जनों को प्रतिपूर्ति न्यायालय द्वारा फैसले के साथ ही कि जाए। न्यायालय में सरकार व आम आदमी दोनों पक्ष होते हैं वादी ओर प्रतिवादी को न्यायालय में समान अधिकार होते हैं सरकार ने अपनी अधिकार सम्पनता के कारण किसी नागरिक के ऊपर गैर कानूनी या मनमाने तरीके से कार्यवाही की

किस कानूनों को खत्म किया जो निम्न-
1.CRPC यह पहले कानून था और अब-भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिंता
2.IPC यह पहले था और अब- भारतीय न्याय सहिंता
3.Evidence Act यह पहले था और अब- भारतीय साक्ष्य विधेयक

लेखक
शंकर आँजणा नवापुरा
जालोर राजस्थान
मो-8239360667

Language: Hindi
292 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
kavita
kavita
Rambali Mishra
मौनता  विभेद में ही अक्सर पायी जाती है , अपनों में बोलने से
मौनता विभेद में ही अक्सर पायी जाती है , अपनों में बोलने से
DrLakshman Jha Parimal
2853.*पूर्णिका*
2853.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
👌👌👌
👌👌👌
*Author प्रणय प्रभात*
तुम पंख बन कर लग जाओ
तुम पंख बन कर लग जाओ
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
चीत्कार रही मानवता,मानव हत्याएं हैं जारी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - कह न पाया आदतन तो और कुछ - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
जहां पर जन्म पाया है वो मां के गोद जैसा है।
सत्य कुमार प्रेमी
भगतसिंह की क़लम
भगतसिंह की क़लम
Shekhar Chandra Mitra
महायुद्ध में यूँ पड़ी,
महायुद्ध में यूँ पड़ी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जीत मनु-विधान की / MUSAFIR BAITHA
जीत मनु-विधान की / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
Raazzz Kumar (Reyansh)
*सबसे ज्यादा घाटा उनका, स्वास्थ्य जिन्होंने खोया (गीत)*
*सबसे ज्यादा घाटा उनका, स्वास्थ्य जिन्होंने खोया (गीत)*
Ravi Prakash
सविनय निवेदन
सविनय निवेदन
कृष्णकांत गुर्जर
माँ लक्ष्मी
माँ लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
🌷🧑‍⚖️हिंदी इन माय इंट्रो🧑‍⚖️⚘️
🌷🧑‍⚖️हिंदी इन माय इंट्रो🧑‍⚖️⚘️
Ms.Ankit Halke jha
नन्हें बच्चे को जब देखा
नन्हें बच्चे को जब देखा
Sushmita Singh
सोच के रास्ते
सोच के रास्ते
Dr fauzia Naseem shad
गिलहरी
गिलहरी
Satish Srijan
अपनापन
अपनापन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*सत्य*
*सत्य*
Shashi kala vyas
बट विपट पीपल की छांव 🐒🦒🐿️🦫
बट विपट पीपल की छांव 🐒🦒🐿️🦫
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इस दुनिया की सारी चीज भौतिक जीवन में केवल रुपए से जुड़ी ( कन
इस दुनिया की सारी चीज भौतिक जीवन में केवल रुपए से जुड़ी ( कन
Rj Anand Prajapati
मुक्तक -
मुक्तक -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
gurudeenverma198
.......शेखर सिंह
.......शेखर सिंह
शेखर सिंह
15, दुनिया
15, दुनिया
Dr Shweta sood
🍁अंहकार🍁
🍁अंहकार🍁
Dr. Vaishali Verma
दुनिया बदल गयी ये नज़ारा बदल गया ।
दुनिया बदल गयी ये नज़ारा बदल गया ।
Phool gufran
" मेरे जीवन का राज है राज "
Dr Meenu Poonia
Loading...