की जब मैंने दुख से प्रीत…
की जब मैंने दुख से प्रीत…
कल क्या होगा –
इस चिंता में,
रात गई
आँखों में बीत !
ओठों पर
आने से पहले,
सुख का प्याला
गया रीत !
आशाओं का
दीप जला,
ढूँढा, न मिला
जीवन-संगीत !
किस्मत भी, जब
हुई पराई ,
फूट पड़ा
अधरों से गीत !
साथी सुख,
तनहा छोड़ गया
जब, दर्द मिला
बन, मन का मीत !
हर सुख से,
खुद को ऊपर पाया,
की जब मैंने,
दुख से प्रीत !
-सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )