दोस्ती करली!!
आज आसमान से दोस्ती कर ली,
कुछ अनकही उसकी समझ ली!
अक्सर मौन से रहने वाला,
क्यों आक्रोश में बिजली कड़काता,
अक्सर खुली हवा सहलाने वाला,
क्यों बदलो के पीछे छुप जाता !
रोशनी, अंधेरे मैं समांतर रहने वाला,
क्यों किसी के पकड़ में नही आता,
अनगिनत तारों का घर देने वाला,
क्यों खुद के लिए आशियां नही बनाता !
आक्रोश करना और छुप जाना,
पृथ्वी को चलाने के लिए जरूरी !
असीमित होना मेरी प्रकृति है,
आशियां नही बनाना नियति है !
‘अभि’ आसमान से दोस्ती कर ली,
कुछ अनकही उसकी समझ ली!
© अभिषेक पाण्डेय अभि