“किस पर लिखूँ?”
“किस पर लिखूँ?”
भाव भरा मन है
पर समझ नहीं आता
किस पर लिखूँ,
कितना छुपाऊँ
और कितना लिखूँ?
हर जगह दिखती है
बेबसी और भूख
मृगतृष्णा बन चुकी
शान्ति और सुख।
“किस पर लिखूँ?”
भाव भरा मन है
पर समझ नहीं आता
किस पर लिखूँ,
कितना छुपाऊँ
और कितना लिखूँ?
हर जगह दिखती है
बेबसी और भूख
मृगतृष्णा बन चुकी
शान्ति और सुख।