किस्से बहुत है हमारे ज़माने में
किस्से बहुत है हमारे ज़माने में
उनको याद नही आज के फ़साने में
दिल लेकर उड़ गया परिंदा दूर कही
हम आज भी कैद है उनके पैमाने में
नही है आरजू और जीने की
बिखर गए है उनको अपना बनाने में
रूठ गयी है ज़िन्दगी खुद से ही
बीमार है खुद को समझाने में
आरजू है और कुछ भी नही तेरे सिवा
गुज़र गयी ज़िन्दगी तेरे यादों केआशियाने में
ज़िंदा हूँ लेकिन रूह गुलाम है तेरी
अब मैं भी हूँ तेरे निशाने में
भूपेंद्र रावत
12।11।2017