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13 Oct 2017 · 1 min read

किस्सा – गोपीचंद # अनुक्रमांक – 25 # टेक – गुरू की बाणी आई याद सब चेल्या नै, मन मैं करया विचार #

किस्सा – गोपीचंद # अनुक्रमांक – 25 # टेक – गुरू की बाणी आई याद सब चेल्या नै, मन मैं करया विचार #

वार्ता –
बहन चंद्रावल से भिक्षा लेने के बाद गोपीचंद वहां से चल पड़ते है और रस्ते में चलते चलते गोपीचंद व अन्य साधू आपस में बात करते है कि बहन की भिक्षा के अलावा गुरू जी ने और भी बात कही थी तो आपस में क्या बात करते है।

गुरू की बाणी आई याद सब चेल्या नै,
मन मैं करया विचार || टेक ||

उस नगरी मैं जाके अलख जगाईयों जड़ै धन बिन हो दातार,
हलवा पूरी खीर मिठाई ना चाहिए अन्न आहार,

कुएं बावडी ताल सरोवर ना बहती हो कोए धार,
उस तीर्थ का पाणी लाइयों ना भरती हो पणिहार।।

पांखा बिन पक्षी उड़ते मर मर जीवै संसार,
सूर्य बिना रोशनी हो, बिन बादल पड़ै फुंहार।।

राजेराम रटै दुर्गे नै होज्या बेड़ा पार,
चार यादकर गंधर्फ नीति फिर बणीये कलाकार।।

Language: Hindi
438 Views
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