किस्सा कुर्सी का
तुझे इसमें राष्ट्रधर्म दिख रहा
मुझे दिख रहीं चालबाजियां!
मंदिर-मस्जिद की आड़ में वे
छिपा रहे अपनी नाकामियां!
वक़्त के जलते हुए सवालों से
अपनी कुर्सी को बचाने के लिए!
हुक़्मरान बांटा करते अक़्सर
अवाम में अफ़ीम की गोलियां!
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