किस्मत
आओ आज महफ़िल कुछ यूं सजाते हैं.
तुम्हें लिखकर कागज पर, तुम्हीं को सुनाते हैं.
तुम आ कर रहना शब भर मेरे ख्बाबों में.
हायात में ना सही, तस्सवुर में अपना बनाते हैं.
मिलना और बिछड़ना तो इक खेल है माना.
चलो इक बार फिर से हम अपनी किस्मत आजमाते हैं.
रहना कुछ देर मेरी आँखों में तुम
तस्वीर तेरी रखकर सामने, हाल ए दिल सुनाते हैं.
वो आयेगी, वो आ रही है, वो आ गयी.
दीप यही सोचकर अब अपने दिल को बहलाते हैं.
✍️✍️…दीप