किस्तों में जिंदगी…
“हम टूटे हुए हैं
बिखरे नहीं हैं फ़िलहाल,
कसौटी में रखकर
मत आंकों हर बार मुझे
काबिल भले ही न हों हम
परंतु, तुम्हें जीवन भर
साथ देने की क्षमता रखते हैं
क्योंकि,
टूट-फूटकर, रफ्ता-रफ्ता
किस्तों में जिंदगी जी-जीकर
खड़ा हुआ हॅू….”
-इन्द्रमणि साहू
समर्पण, कोडरमा, झारखण्ड
9934148413