किसे खबर थी मुलाकात भी हो जाएगी
किसे खबर थी मुलाकात भी हो जाएगी
मिलेंगे और कभी बात भी हो जाएगी
बहार खिलने लगेंगी खिज़ा के मौसम में
यूँ तपते सहरा में बरसात भी हो जाएगी
अगर रहे कोई कायम यकीन पर अपने
तो ज़िंदगी में करामात भी हो जाएगी
किसी को धोखा दें फितरत नहीं हमारी ये
अगर यूँ शह दी कभी मात भी हो जाएगी
जवाब चाहिए मेरे सवाल का ‘सागर’
अगर मगर मैं यहाँ रात भी हो जाएगी