किसी दिन ….
किसी दिन वो पल भुला देंगे ,
किसी रोज कर लेंगे किनारा हम ,
किसी सुबह मुस्कुरा के कह देंगे
याद आते हो बहुत ही कम !
किसी शाम तनहा ही रह लेंगे
किसी दोपहर कड़ी धूप सह लेंगे
किसी क्षण खिलखिला के हंस देंगे
किसी रात करवटें ही बस लेंगे !
किसी झरने के लेटेंगे बहुत करीब
किसी ऊँचे पर्वत पे चढ़ लेंगे
किसी तरु की बैठ के छाँव
किसी मंदिर कान्हा को ही पूजेंगे !
तुम रह जाओगे धुंधली सी केवल याद
नहीं करेंगे अब इक भी कीमती क्षण बर्बाद !
भूत के गर्त में तुम्हें दफना चुके हैं हम
हो जायेंगे हमारे सुनहरे स्वप्न सब आबाद !