किसी तो किनारे से चलना पड़ेगा
किसी तो किनारे से चलना पड़ेगा
किसी के सहारे से बढ़ना पड़ेगा।
ये लम्बा सफर है गमे जिंदगी का,
तुम चाहो न चाहो मानो न मानो,
गिरो लड़खड़ाओ उठो डगमगाओ,
जो थक भी गए तो भी चलना पड़ेगा,
किसी तो किनारे से चलना पड़ेगा।
वो बचपन की यादों ने दिल को टटोला,
छिपी थी जो बातें वो संदूक खोला।
न मंजिल की जल्दी में हड़बड़ में भागें।
न कल की हो चिंता में सुबह को जागें।
वो ममता का आंचल जो सबसे बचाये,
कोई भी हो मुश्किल जो नजदीक आये।
जो राहों में भटको तो मंजिल दिखाए,
कंही पर जो अटको तो हिम्मत बढ़ाये।
नहीं है वो आंचल तो क्या गम है यारों,
किसी के तो साये में छिपना पड़ेगा।
किसी तो किनारे से चलना पड़ेगा,
गिरोगे तो खुद से संभालना पड़ेगा।
जवानी में यारों का जज्बा था भारी,
रहूँगा मै ता उम्र उन्ही का आभारी।
मुसीबत में हरदम वो रहते थे आगे,
मुझे छोड़ अकेला वो कभी न भागें।
उन्ही के सहारे बहुत दूर आया,
रहा था हमेशा उन्ही का वो साया।
नहीं है वो साया तो क्या गम है यारों,
बिना सायों के भी चलना पड़ेगा।
किसी तो किनारे से चलना पड़ेगा,
गिरोगे तो खुद ही संभालना पड़ेगा।
मेरे पास भी थी मेरे जीवन की साथी,
मुझे है वो अक्सर बहुत याद आती।
बहुत प्यार से उसने सींचा था जीवन,
उसी के प्रेम में डूबा रहता था ये मन।
यंहा तक हूँ आया उसी के सहारे,
वही छोड़ चल दी मुझे वो किनारे।
नहीं है वो साथी तो क्या गम है यारों,
उसी अब किनारे से चलना पड़ेगा।
किसी के सहारे से चलना पड़ेगा।
गिरोगे तो खुद से संभालना पड़ेगा।