किसान और मजदूर
चाहे हाड़ कंपाती सर्दी हो, सूरज से आग निकलती हो
बादल गरजें, बिजली चमके, मूसलाधार चाहे बारिश हो
मुझे काम पर जाना है,चाहे जो मजबूरी हो
नहीं ठहरता जब तक, रुकना जहां जरुरी हो
किसान और मजदूर हूं मैं,श्रम करते उम्र ये पूरी हो
सुरेश कुमार चतुर्वेदी