किसान आंदोलन
किसान आंदोलन
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किसान बिल था अति सुखदाई,
खुला बाजार मिलता भरपाई।
स्थिर रहता बाजार मूल्य भी,
नियंत्रित होता सदा महंगाई…
समर्थन मूल्य तेईस फसलों का,
भाता नहीं तुझको हरजाई।
अरि का झंडा थाम लिया तू ,
शंभू बोर्डर पर टांग अड़ाई…
बिजली पानी ऋण की माफी ,
खाद बीज की सब्सिडी पायी।
छह हजार की सम्मान निधि ये ,
किसान के लिए तो है वरदाई…
देख रहा है पूरा विश्व अब ,
किसान नाम पर होता सौदाई।
कालाबाजारी बिचौलिए से तो,
दूर ही रहे फसलों की बुआई…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १८ /०२ /२०२४,
माघ,शुक्ल पक्ष,नवमी, रविवार,
विक्रम संवत २०८०
मोबाइल न. – 8757227201