किसपे करूँ भरोसा, मुझे कौन साथ देगा
मे किसको यहां चाहूँ, किसे नयन मे बसाऊँ ।
मे किससे दिल लगाऊ मुझे कौन साथ देगा ।।
झूठा है सब जमाना, किसको में गम बताऊँ ।
किसपे करूँ मुझे भरोसा, मुझे कौन साथ देगा।।
बहती है अश्रु सरिता, किसको में यहां दिखाऊँ ।
अपनो ने छोड़ी कस्ती, मुझे कौन हाथ देगा ।।
थोड़ा सामने को देखूं, फिर पीछे नजर घुमाऊँ ।
यहां कौन हम सफर है, मुझे कौन हांथ देगा ।।
किसका है कौन “कृष्णा”, कैसे तुम्हे दिखाऊँ ।
किसपे करूँ मुझे भरोसा, मुझे कौन साथ देगा।।
✍कृष्णकांत गुर्जर धनौरा