Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jun 2024 · 1 min read

किसने कहा, आसान था हमारे ‘हम’ से ‘तेरा’ और ‘मेरा’ हो जाना

किसने कहा, आसान था हमारे ‘हम’ से ‘तेरा’ और ‘मेरा’ हो जाना,
सुनहरे सपनों की एक चादर थी, जिसे दो टुकड़ों में करके था दिखाना।
जमीं और आसमां के ख्वाहिशों को कहाँ मिल पाता है, एक सा ठिकाना,
कोशिशों में शिद्दतें भी हो तो, तय है उस दिन क़यामत का आना।
कश्तियों के मुकद्दर में लिखा है, बस सागर को पार करवाना,
लहरों की चाहतें जो जाग गयीं तो, मुश्किल है गहराइयों से बच पाना।
रुसवाइयाँ शामों में सिमटी है, जिन्हें मुस्कुराहटों के भ्रम में है छिपाना,
टूटते सितारों को देख कर भी, अब माँगना नहीं है दुआओं का खजाना।
खामोशियों की पनाह में सुकूं है, और झूठ से भरा है हर पैमाना,
ज़हर बन ज़िन्दगी साँसें ले रही हैं, जिसे रूह से मिले हुआ एक ज़माना।
सिसकती है गुफ्तगू यादों में कहीं, यूँ दर्द से ताल्लुक़ात हुआ है पुराना,
बेहोशी में मिलते हैं शीशे के घरोंदे, पत्थर जज्बातों को जिन्हें है ठुकराना।
सफर पूछता नहीं अब मुझसे, क्या मंजिलों को तुम्हें अब भी है पाना,
जानता है मुमकिन नहीं अब, सोये एहसासों को नींदों से जगाना।

2 Likes · 1 Comment · 98 Views
Books from Manisha Manjari
View all

You may also like these posts

तमाशा लगता है
तमाशा लगता है
Vishnu Prasad 'panchotiya'
पाँच सितारा, डूबा तारा
पाँच सितारा, डूबा तारा
Manju Singh
दिल के अरमान
दिल के अरमान
Sudhir srivastava
हो गया कोई फलसफा
हो गया कोई फलसफा
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
माँ-बाप की नज़र में, ज्ञान ही है सार,
पूर्वार्थ
दलदल..............
दलदल..............
sushil sarna
दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ]
दास्ताने-कुर्ता पैजामा [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
Suryakant Dwivedi
"ना ढूंढ सको तिनका, यदि चोर की दाढ़ी में।
*प्रणय*
प्रकृति के स्वरूप
प्रकृति के स्वरूप
डॉ० रोहित कौशिक
*हुस्न तेरा  है  गरूर भरा*
*हुस्न तेरा है गरूर भरा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"अटूट "
Dr. Kishan tandon kranti
हवाओं ने बड़ी तैय्यारी की है
हवाओं ने बड़ी तैय्यारी की है
Shweta Soni
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
धिन हैं बायण मात ने, धिन हैं गढ़ चित्तौड़।
धिन हैं बायण मात ने, धिन हैं गढ़ चित्तौड़।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
शेष न बचा
शेष न बचा
इंजी. संजय श्रीवास्तव
जीवन में बहुत कुछ फितरत और अपनी ख्वाहिश के खिलाफ करना पड़ता ह
जीवन में बहुत कुछ फितरत और अपनी ख्वाहिश के खिलाफ करना पड़ता ह
Raju Gajbhiye
चुनौतियाँ शहरों की
चुनौतियाँ शहरों की
Chitra Bisht
झुंड
झुंड
Rekha Drolia
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Mukesh Kumar Sonkar
दूरी सोचूं तो...
दूरी सोचूं तो...
Raghuvir GS Jatav
"with eyes filled with dreams"
राकेश चौरसिया
अपनी कलम से.....!
अपनी कलम से.....!
singh kunwar sarvendra vikram
गंणपति
गंणपति
Anil chobisa
3666.💐 *पूर्णिका* 💐
3666.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
'अशांत' शेखर
मंत्र : दधाना करपधाभ्याम,
मंत्र : दधाना करपधाभ्याम,
Harminder Kaur
नौतपा
नौतपा
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बलात्कार
बलात्कार
Dr.sima
कान्हा ओ कान्हा!
कान्हा ओ कान्हा!
Jaikrishan Uniyal
Loading...