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15 May 2023 · 1 min read

किसकी पराजय

किसकी पराजय?(कविता)

चली उम्मीद की आँधी जना जब पुत्र माता ने
बजी शहनाइयाँ घर में दिया कुलदीप दाता ने।
सजा अरमान की डोली झुलाया लाल को पलना
पिता ने थाम कर अँगुली सिखाया पूत को चलना।

जगे माँ-बाप रातों को हिलाते गोद में बेटा
सुना लोरी बलैंयाँ लीं ललन जब बाँह में लेटा।
बिठा कर छाँव आँचल की पसीना प्रीत से पोंछा
नहीं मालूम था उस दिन निकल जाएगा तू ओछा।

उठा काँधे घुमा तुझको खिलाया चाँद सा मुखड़ा
सहा हर दर्द दुनिया का नहीं तुझसे कहा दुखड़ा।
छिपा कर हाथ के छाले किया श्रमदान तन- मन से
गँवाया चैन जीवन का भरण -पोषण किया धन से।

तकूँ मैं आज मुख तेरा तरसता साथ को तेरे
अहम माथे चढ़ा कर तू झटकता हाथ को मेरे।
कलेजा फूट कर रोया हुआ लाचार अंगों से
नहीं सोचा करेगा तू मिरा अपमान दंगों से।

कहूँगा क्या ज़माने से सितम किसने किया मुझ पर?
हँसेगी परवरिश मुझ पर लगी जो तोहमत तुझ पर।
छिपा कर ज़ख्म अपनों के बता कैसे सुकूँ पाऊँ?
लगे अब प्राण लूँ अपने कफ़न ओढ़े चला जाऊँ।

स्वरचित/मौलिक
डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी (उ. प्र.)

मैं डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना” यह प्रमाणित करती हूँ कि” किसकी पराजय” कविता मेरा स्वरचित मौलिक सृजन है। इसके लिए मैं हर तरह से प्रतिबद्ध हूँ।

Language: Hindi
1 Like · 191 Views
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