“किवदन्ती”
“किवदन्ती”
यहाँ हवा-हवाई कभी थमी नहीं,
इसलिए किवदन्तियों की कोई कमी नहीं।
कहते पारिजात वृक्ष को छूके देखिए,
जिसके सामने कोई थकान रमी नहीं।
“किवदन्ती”
यहाँ हवा-हवाई कभी थमी नहीं,
इसलिए किवदन्तियों की कोई कमी नहीं।
कहते पारिजात वृक्ष को छूके देखिए,
जिसके सामने कोई थकान रमी नहीं।