“किताब और कलम”
“किताब और कलम”
मैं किताब और कलम
छोड़े जा रहा हूँ
कि कोई आकर
अपने दिल के जज़्बात लिखे,
उसे देखकर, पढ़कर
जमाना सोंचे कुछ सीखे।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“किताब और कलम”
मैं किताब और कलम
छोड़े जा रहा हूँ
कि कोई आकर
अपने दिल के जज़्बात लिखे,
उसे देखकर, पढ़कर
जमाना सोंचे कुछ सीखे।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति