कितने लोग मिले थे, कितने बिछड़ गए ,
कितने लोग मिले थे, कितने बिछड़ गए ,
जीवन की राहों पर , कितने रगड़ गए ।
नन्हे – नन्हे पौधे भी बड़े हुए जब जब ,
आँधी में टूटी जड़ , कितने उखड़ गए ।
✍️नील रूहानी..
कितने लोग मिले थे, कितने बिछड़ गए ,
जीवन की राहों पर , कितने रगड़ गए ।
नन्हे – नन्हे पौधे भी बड़े हुए जब जब ,
आँधी में टूटी जड़ , कितने उखड़ गए ।
✍️नील रूहानी..