कितने मादक ये जलधर हैं
कितने मादक ये जलधर हैं,
इठलाते, मँडराते आते,
सोयी पीर जगा कर जाते,
गरज-गरज कर मन भर देते,
पीड़ा के विरही अंतर हैं,
कितने मादक ये जलधर हैं।
ये जलधर रस के वर्षक हैं,
प्रेम-धरा करते उर्वर हैं,
ये ढलकाते मधुका के घट,
प्रणय-विचुंबित इनके स्वर हैं,
कितने मादक ये जलधर हैं।
युगल प्रेमियों के रस-वर्धक,
ये शोभा-सुषमा के वर्षक,
श्वेत-श्याम-कजरारे-कारे
ये मदझर हैं, ये मनहर हैं,
कितने मादक ये जलधर हैं।