कितना छोडुं कहॉ से कितना क्या लिखूं
कितना छोडुं कहॉ से कितना क्या लिखूं
गजल मे उसे लिखूं या कुछ नया लिखूं
अभी तो बस तप्सील जारी है पुख्ता नही है
मर्ज पकड में आ जाए तो दवा लिखूं
दिल मेरा मोहब्बत का संगिन मुजरिम है
आपकी कैद है कहो कौन सी दफा लिखूं
हुस्नवालो से कहो हमे हवस नही मोहब्बत है
मेरा बस चले तो आस्मां पे वफा लिखूं
गुल को छोड पत्थर चुननेवालों को क्या कहें
मुझे क्या गरज कि किसी को बेवफा लिखूं
उब आगया हुं तेरी ख्वाईश करते करते
अब बता ना तेरी तारिफ कितनी दफा लिखूं
कलम की रोशनाई खत्म हो गई गम लिखने में
अब वक्त आया है के कुछ दुआं लिखूं
जला के चल दिए है दीया तनहा महफील में
इसके बुझने की वजह पानी है या हवा लिखूं