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5 Apr 2024 · 1 min read

कितना छुपाऊँ, कितना लिखूँ

समझ नहीं आता
किस पर लिखूँ ,
आप ही बतलाओ ना
कितना छुपाऊँ
और कितना लिखूँ ?

तन पर कपड़ा नहीं
न सर पर छत,
जहाँ भी नजर डालो
हर जगह मुसीबत।

घूम रहा बच्चा
गली में नंग-धड़ंग,
इक्कीसवीं सदी में भी
मन लोगों का तंग।

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
नेल्सन मंडेला ग्लोबल
ब्रिलियंस अवार्ड प्राप्त।

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 108 Views
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