काश !!..
काश ! कोई हमें बुलाता आवाज़ देकर ,
और अपने पास बैठता हाथ पकड़कर ,
जानने को वोह हमारा हाल-ऐ-दिल ,
पूछता हमसे बेहद ज़िद कर बार बार ।
काश ! कोई हमारी नब्ज़ पकड़ कर ,
हमारी तबियत का जायजा लेता पूछकर ।
वो पूछता ” तुम ठीक तो हो, कैसा है हाल ?
कह दो ना सब मत रखो कुछ छुपाकर ।
काश ! कोई हमारी पेशानी को पढ़कर ,
और कभी हमारी आँखों में झांक कर ।
जान लेता बिन कहे परेशानी का सबब ,
हमारी उदासी की फ़िक्र में रहता हर पहर ।
काश ! किसी के पास होता इतना वक्त ,
बैठकर हम घंटो बतियाते वक़्त-बेवक्त ।
कभी रूठना – मनाना ,कभी शिकवा-शिकायत .
पल में गुज़र जाता जिंदगी का बोझिल वक्त।
काश ! हमारी पलकों की नमी देखकर कोई ,
खुद भी शरीक होता हमारे गम में डूबकर ।
हमारी हँसी औ मुस्कान को वापिस पाने को ,
वोह सदा अपनी जी-जान लगा देता एक कर ।
काश ! हमारी हर उम्मीदों पर खरा उतरकर,
।हमारी हर ज़रूरत को तहे-दिल से समझकर ।
पूछता ”और कोई तुम्हारी आरजू है तो बताओ”
अपनी तमन्नाओ को ज़ाहिर करो दिल खोलकर .”
काश ! किसी को होती हमसे इतनी मुहोबत ,
अपने गुस्से औ गुरुर को कर देता रुखसत ।
हमारी कमियों ,कमजोरियों को वो छुपाता,
हमारे फन औ खूबियाँ को करता उजागर ।
मगर यह सब तो हैं ख्वाबों -ख्यालों की बातें ,
”काश ” तक ही तो सिमटी हैं सारी हसरतें ।
यह कडवी हकीक़त है ,ऐ अनु ! इतना समझ ले ,
इसी काश पर तमाम जिस्तें जीती है गम खाकर ।