काश ! हम मिले ना होते ️
काश हम मिले ना होते
ये हसीन सिलसिले ना होते
डर भी ना होता तुझे भूल जाने का
और हम इस कदर अकेले ना होते
काश हम मिले ना होते
रातों को हम भी सो जाया करते
और दिन में बेवज़ह मुस्कुराया करते
ना ही मंजर होता तेरी यादों का
और ना ही भीगे सवेरे होते
काश हम मिले ना होते
इश्क़-ए-जहाँ हम जो ना होते
दिल-ए-गुलिस्तां गम भी ना होते
ना ही दीदार होता ख़्वाबों में तुम्हारा
और ना ही ये अरमां बिखरे होते
काश हम मिले ना होते
~भंडारी लोकेश ✍️